Contractual Employees Salary Hike
संविदा कर्मियों के लिए बड़ी खुशखबरी अब सैलरी में होगी तीन गुना बढ़ोतरी
Contractual Employees Salary Hike देशभर के संविदा कर्मचारी लंबे समय से अपने नियमितीकरण और मानदेय बढ़ोतरी जैसी मांगों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं। चाहे उत्तर प्रदेश हो या बिहार, लगभग हर राज्य में उनकी स्थिति कमोबेश एक जैसी रही है। कई बार सरकारों ने उनकी समस्याओं को नज़रअंदाज़ किया, जिससे कर्मचारियों के मन में असंतोष और हताशा पनपने लगी थी।
लेकिन अब बिहार सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए संविदा कर्मियों, खासकर विद्यालयों में कार्यरत रात्रि प्रहरियों के लिए बड़ी राहत का ऐलान किया है। हाल ही में उनके मानदेय में भारी इजाफा किया गया है, जिसे कर्मचारी लंबे समय से लेकर चल रहे थे। यह निर्णय उनके लिए किसी तोहफे से कम नहीं है।
मानदेय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
शिक्षा विभाग की ओर से 12 अगस्त 2025 को जारी आदेश के अनुसार अब माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में तैनात रात्रि प्रहरियों का मानदेय सीधे ₹1500 से बढ़ाकर ₹10000 कर दिया गया है। पहले उन्हें केवल ₹1500 प्रतिमाह मिलता था जिसे जून 2018 में बढ़ाकर ₹5000 किया गया था। अब यह तीसरी बार बढ़ोतरी करते हुए सरकार ने इसे दोगुना से भी अधिक कर दिया है। 1 अगस्त 2025 से लागू इस फैसले से हजारों कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होगा।
बढ़ोतरी के पीछे कारण
रात्रि प्रहरियों की नियुक्ति स्कूलों की प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, खेल उपकरणों और कंप्यूटर जैसी कीमती वस्तुओं की सुरक्षा के लिए की गई थी। लेकिन लंबे समय से कम मानदेय मिलने की वजह से इन कर्मचारियों का उत्साह घट रहा था। सरकार ने माना कि यदि उचित वेतन दिया जाए तो उनकी जिम्मेदारी निभाने की क्षमता और काम के प्रति लगाव बढ़ेगा। इसी सोच के साथ सरकार ने 5000 रुपये से सीधे 10000 रुपये तक का मानदेय निर्धारित कर दिया।
खुशी और उम्मीद की लहर
सरकार के इस निर्णय के बाद रात्रि प्रहरियों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं। उनका मानना है कि यह कदम न सिर्फ उनकी आर्थिक मजबूती का रास्ता खोलेगा बल्कि आत्मविश्वास और मनोबल को भी दोगुना करेगा। कर्मचारी इसे सरकार की सकारात्मक और संवेदनशील पहल मान रहे हैं। आदेश को गजट में भी दर्ज किया जाएगा और सभी संबंधित विभागों तक इसकी सूचना पहुंचाई जा चुकी है।
यह बढ़ोतरी रात्रि प्रहरियों के लिए एक नई शुरुआत की तरह है। लंबे समय से आंदोलन और संघर्ष कर रहे इन संविदा कर्मचारियों के लिए यह फैसला उम्मीद की किरण लेकर आया है। इससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार धीरे-धीरे संविदा कर्मचारियों की अहमियत और उनकी मेहनत को समझते हुए ठोस कदम उठा रही है।
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