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कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के 18 महीने के DA एरियर में बड़ा बदलाव, यहां देखें

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DA Arrears हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को लेकर एक अहम निर्णय लिया है। कोविड-19 महामारी के दौरान रोके गए महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) की लंबित राशि अब जारी नहीं की जाएगी। इस घोषणा से लाखों कर्मचारियों और रिटायर्ड व्यक्तियों में निराशा फैल गई है। सरकार का कहना है कि महामारी के समय उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों और भारी वित्तीय दबाव के कारण यह कदम उठाना पड़ा। वित्त मंत्रालय ने संसद में स्पष्ट किया कि मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए बकाया भुगतान संभव नहीं है। इस फैसले का असर न केवल वर्तमान कर्मचारियों पर पड़ेगा, बल्कि उन पेंशनभोगियों पर भी, जिन्होंने वर्षों तक सरकारी सेवा दी है।

कोविड-19 में DA/DR रोकने का पृष्ठभूमि

महामारी की शुरुआत में, सरकार ने वित्तीय संकट से निपटने के लिए कई सख्त उपाय लागू किए थे। जनवरी 2020 से जून 2021 तक यानी 18 महीनों के लिए केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और पेंशनधारकों की महंगाई राहत रोक दी गई थी। इस दौरान 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 की तीनों किस्तें स्थगित रहीं। सरकार का तर्क था कि उस समय कल्याणकारी योजनाओं पर अत्यधिक खर्च के कारण खजाने पर अतिरिक्त बोझ डालना उचित नहीं होगा।

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वित्त मंत्रालय का जवाब

संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि फिलहाल बकाया DA/DR का भुगतान संभव नहीं है। उनका कहना था कि कोविड-19 के दौरान हुए राजस्व नुकसान और भारी सरकारी खर्च ने वित्तीय स्थिति को कमजोर किया है। ऐसे में इस राशि का वितरण करना अभी आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है। इससे यह साफ हो गया कि कर्मचारियों की लंबे समय से बनी उम्मीदें पूरी नहीं होंगी।

वित्तीय नुकसान और असर

इस निर्णय के चलते कर्मचारियों और पेंशनधारकों को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। 18 महीनों की रोकी गई राशि अब कभी नहीं मिलेगी। औसतन एक कर्मचारी को हजारों रुपये का घाटा होगा, वहीं पेंशनधारकों के लिए यह और भी कठिन है क्योंकि उनकी आय स्थिर होती है और महंगाई से निपटने के लिए यह राशि अहम थी। कई परिवारों ने इस भुगतान की उम्मीद में अपने खर्च तय किए थे, जो अब प्रभावित होंगे।

आठवें वेतन आयोग को लेकर स्थिति

हाल ही में मीडिया में यह दावा किया गया कि आठवां वेतन आयोग मंजूर हो गया है, लेकिन सरकारी सूत्रों ने इसे पूरी तरह खारिज किया। फिलहाल सातवां वेतन आयोग ही लागू है और महंगाई भत्ता मूल वेतन का 55% है। नया आयोग लागू होने पर DA पुनः निर्धारित किया जाएगा। कर्मचारी संगठन इसकी जल्द घोषणा की मांग कर रहे हैं ताकि वेतन ढांचा बेहतर हो सके।

कर्मचारी संगठनों का विरोध

कई केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस रुख की आलोचना की है। उनका कहना है कि महामारी के कठिन समय में भी कर्मचारियों ने पूरी जिम्मेदारी निभाई और अब, जबकि आर्थिक स्थिति सुधर रही है, उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। कई संगठनों ने आंदोलन और प्रदर्शन की चेतावनी दी है। उनका तर्क है कि यह बकाया कर्मचारियों का वैधानिक अधिकार है और इसे रोकना अन्याय है।

सरकार की प्राथमिकताएं और नीति

सरकार का रुख है कि फिलहाल राजकोषीय अनुशासन और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना व्यक्तिगत लाभों से अधिक जरूरी है। कोविड-19 के बाद उनका ध्यान आधारभूत ढांचे के विकास, रोजगार सृजन और समग्र अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर है। इसलिए DA बकाया भुगतान अभी उनकी प्राथमिकताओं में नहीं है। हालांकि आर्थिक दृष्टि से यह फैसला उचित ठहराया जा सकता है, लेकिन कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।

भविष्य की संभावनाएं और सुझाव

वर्तमान परिस्थितियों में इस फैसले में बदलाव की संभावना कम दिखती है। कर्मचारियों को अपनी वित्तीय योजना में बदलाव कर अन्य आय विकल्पों पर विचार करना होगा। आठवां वेतन आयोग लागू होने पर कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन इसके बारे में कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। फिर भी, नीतियों में बदलाव की संभावना हमेशा रहती है, इसलिए उम्मीद पूरी तरह छोड़नी नहीं चाहिए।

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