Land Registry New Rule द Registration Bill, 2025 नामक ड्राफ्ट बिल को 27 मई 2025 को जारी किया गया है। इसका उद्देश्य 1908 के पुराने रजिस्ट्रेशन एक्ट को बदल कर एक आधुनिक, डिजिटल-आधारित और नागरिक-केन्द्रित पंजीकरण प्रणाली स्थापित करना है । यह कानून पूरे देश में समान रूप से लागू होने वाला प्रथम ऐसा प्रयास करेगा, जिसे “One Nation, One Registry” जैसे दृष्टिकोण से देखा जा रहा है ।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
इस बिल के अंतर्गत ऑनलाइन पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है। अब लोगों को तहसील या रजिस्ट्रार कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे; वे घर बैठे ही दस्तावेज अपलोड, सत्यापन और फीस भुगतान कर सकेंगे ।
पूरे प्रोसेस की ट्रैकिंग एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर और त्वरित डिजिटल प्रमाणपत्र (‘डिजिटल रजिस्ट्री कॉपी’) प्रदान की जाएगी ।
दस्तावेजों का दायरा और पहचान उपादान
रजिस्ट्रेशन के लिए अब सेल डीड (Sale Deed) के साथ-साथ Agreement to Sell, Power of Attorney, Sale Certificate, Equitable Mortgage, और न्यायिक आदेश जैसे दस्तावेजों की पंजीकरण अनिवार्यता बढ़ा दी गई है ।
पहचान सत्यापन प्रणाली में आधार-बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को शामिल किया गया है, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका को काफी हद तक खत्म किया जा सके । हालांकि, कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि आधार के स्थान पर पासपोर्ट या वोटर-आईडी जैसे विकल्प भी उपलब्ध रहेंगे, लेकिन आधार‐बायोमेट्रिक को प्राथमिकता दी गई है ।
पारदर्शिता और अनुपालन
पंजीकरण प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की जा रही है, जिससे किसी विवाद या जालसाजी की स्थिति में एक मजबूत डिजिटल प्रमाण उपलब्ध हो सके ।
ऑनलाइन भुगतान प्रणाली पूरी तरह लागू की जाएगी—स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क केवल डिजिटल माध्यमों (UPI, नेट-बैंकिंग, कार्ड) से किए जाएंगे, जिससे नकद लेनदेन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे।
लाभ, समय-सीमा और वर्तमान पहलें
इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, समय और खर्च में कमी आएगी, तथा धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की संभावना काफी घटेगी ।
ड्राफ्ट बिल पर जन सुझाव 25 जून 2025 तक मांगे गए; संसद में जुलाई-अगस्त 2025 (मानसून सत्र) में इसे पेश किए जाने की संभावना है; और संभवतः अंततः यह 2025 के अंत तक कानून के रूप में लागू हो सकता है ।
साथ ही, केंद्र सरकार दिसंबर 2025 तक देश भर में भूमि रिकॉर्ड का 100% डिजिटलीकरण करना चाहती है, हालाँकि इसमें फिलहाल उत्तर-पूर्वी राज्यों और लद्दाख को शामिल नहीं किया गया है ।